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  दोष युक्त पशुपालन किसी भी पशु को बंधक बनाना ठीक है क्या मित्रो आज कल घरों में कुत्ते का पालने का शौक तेजी से बढ़ रहा है , चलो यहां तक ठ...

 
kuatta palna ghar me thik nhi

दोष युक्त पशुपालन

किसी भी पशु को बंधक बनाना ठीक है क्या
मित्रो आज कल घरों में कुत्ते का पालने का शौक तेजी से बढ़ रहा है , चलो यहां तक ठीक था वे दरवाज़े तक थे, अब आप किसी के घर में जाओ तो देखो रसोई पूजा घर बेडरूम सब जगह बाबू सोना बेटा बउआ बेटू आदि उनकी आरती में शामिल होते है प्रसाद खिलाया जाता है! चलो ये सब ठीक है परन्तु आज शास्त्र कि बात अलग है वैज्ञानिक रूप से पशु डी एन ऐ विपरीत रहता है मनुष्य के, इनकी लार रोये मृत कोशिका तरह तरह के रोग देती है आप इन्हे साथ बिस्तर पर जगह देते है ! क्या आपका प्यार जेनेरिक परिवर्तन कर सकता है नहीं न! केवल गाय ही एक ऐसा पशु है जिसे शास्त्र और विज्ञानं दोनो मान्यता देते है!
शाष्त्र मान्यता
बिल्ली, मुर्गा, बकरा, कुत्ता, सूअर तथा पक्षियोंको पालनेवाला मनुष्य नरक (कृमिपूय या पूयवह) में गिरता है।
मार्जारकुक्कुटच्छागश्ववराहविहङ्गमान् ।
पोषयन्नरकं याति तमेव द्विजसत्तम ॥
(विष्णुपुराण २।६। २१; ब्रह्मपुराण २२।२०).
कुक्कुटश्वानमार्जारान् पोषयन्ति दिनत्रयम् ।
इह जन्मनि शूद्रत्वं मृतः श्वा चाभिजायते ॥
(वाधूलस्मृति १७०)
कुत्ता रखनेवालोंके लिये स्वर्गलोकमें स्थान नहीं है। उनके यज्ञ करने और कुआँ, बावड़ी आदि बनवानेका जो पुण्य होता है, उसे 'क्रोधवश' नामक राक्षस हर लेते हैं ।
स्वर्गे लोके श्ववतां नास्ति धिष्ण्यमिष्टापूर्त क्रोधवशा हरन्ति ।
ततो विचार्य क्रियतां धर्मराज त्यज श्वानं नात्र नृशंसमस्ति॥
(महाभारत, महाप्रस्थानिक० ३।१०)
घरमें मुर्गे और कुत्तेके रहनेपर देवता उस घरमें हविष्य ग्रहण नहीं करते-
कुक्कुटे शुनके चैव हविर्नाश्नन्ति देवताः।
(महाभारत, अनु० १२७ । १६)
यदि कुत्ते, सूअर और मुर्गेकी दृष्टि पड़ जाय तो देवपूजन, श्राद्ध- तर्पण, ब्राह्मण भोजन, दान और होम- ये सब निष्फल हो जाते हैं।चाण्डालश्च वराहश्च कुक्कुटः श्वा तथैव च ।
रजस्वला च षण्ढश्च नेक्षेरन्नश्नतो द्विजान् ॥
होमे प्रदाने भोज्ये च यदेभिरभिवीक्ष्यते ।
दैवे कर्मणि पित्र्ये वा तद्गच्छत्ययथातथम् ॥
(मनुस्मृति ३ २३९-२४०)
*वास्तव में कुत्ते आदिका पालन करना, उनकी रक्षा करना दोष नहीं है,
प्रत्युत प्राणिमात्रका पालन-पोषण करना मनुष्यका खास कर्तव्य है।
परन्तु कुत्ते आदिके साथ
घुल-मिलकर रहना, उनको साथमें रखना, मर्यादारहित छुआछूत करना, उनमें आसक्ति करना,
उनसे अपनी जीविका चलाना दोष है।

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