घातक कालसर्प योग व्याख्या एवं उपाय ज्योतिषशास्त्र में कालसर्प दोष को अशुभ एवं कष्टकारी माना कहा गया है। कुण्डली में 12 प्रकार के कालसर्प म...
घातक कालसर्प योग व्याख्या एवं उपाय
ज्योतिषशास्त्र में कालसर्प दोष को अशुभ एवं कष्टकारी माना कहा गया है। कुण्डली में 12 प्रकार के कालसर्प में से कोई भी कालसर्प हो तो वह कष्टदायक माना जाता है फिर भी दशम कालसर्प योग का नाम ऐसा है जिसे सुनकर लोगों के मन में भय हो सकता है क्योंकि, इस कालसर्प दोष का नाम है घातक कालसर्प दोष यह कालसर्प जिसकी कुण्डली में होता है उन्हें जीवन के कई क्षेत्रों में कठिनाईयों का सामना करना होता है. इसके अशुभ प्रभाव से बचने हेतु व्यक्ति को समय पर इसका उपचार कर लेना चाहिए इससे घातक कालसर्प दोष के घातक प्रभाव में कमी आती है।
घातक कालसर्प दोष की पहचान
ज्योतिषशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार जन्मपत्री में राहु यदि आजीविका स्थान यानी दशम भाव में हो तथा केतु सुख स्थान यानी चतुर्थ भाव में हो और शेष सभी ग्रह दशम से चतुर्थ भाव में एक ही दिशा में स्थित हों तब यह मानना चाहिए कि जन्मपत्री में घातक कालसर्प दोष है।
घातक कालसर्प दोष का प्रभाव
घातक काल सर्प दोष जन्म कुण्डली में जिस स्थान पर बन रहा है उस स्थान को सबसे पहले प्रभावित करता है. जिस स्थान में यह बनेगा उस स्थान के फलों को कम कर सकता है. उक्त भावों से मिलने वाले शुभ गुण भी खराब हो जाते हैं. शुभता में कमी के कारण जातक को जीवन में संघर्ष अधिक करने पड़ते हैं. आईए जानते हैं की घातक काल सर्पदोष किस प्रकार से आपके जीवन को प्रभावित करता है।
कार्यक्षेत्र पर प्रभाव
यह योग जिस व्यक्ति की जन्मपत्री में होता है उसे सबसे ज्यादा परेशानी आजीविका में उठानी पड़ती है. चुंकि, घातक कालसर्प दोष में अशुभ फलदायी ग्रह का निवास दशम भाव में होता है अत: व्यक्ति नौकरी में हो अथवा व्यवसाय करता हो उसके कार्यों में स्थायित्व की कमी रहती है, यानी नौकरी करने वाले व्यक्ति को बार-बार नौकरी बदलनी पड़ती है तथा व्यवसाय करने वाला अपने व्यवसाय में बार-बार परिवर्तन करता रहता है. मान-प्रतिष्ठा में कमी की संभावना बनी रहती है इसलिए इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को शांति एवं समझदारी से काम लेना चाहिए।
काम - काज में व्यक्ति अपने अधिकारी वर्ग के कारण कई बार परेशान भी रहता है. जातक स्वतंत्र रुप से काम करने की इच्छा अधिक रखता है. दूसरों का नियंत्रण उसे पसंद नहीं होता है. काम काज में बदलाव भी अधिक रह सकते हैं. जातक को गुप्त शत्रुओं से सावधान रहने की जरुरत है।
सुख में कमी यह योग जन्म कुण्डली के चौथे भाव को प्रभावित करता है. ये भाव जातक का सुख स्थान कहा जाता है. हमारे सुख की अनुभूति इसी भाव से समझी जा सकती है. व्यक्ति अपने आस पास की चीजों से कैसे सुख पाएगा और मानसिक रुप से उस परिसिथितियों का कैसा प्रभाव होगा ये हम इसी भाव के अध्य्यन से करते हैं. अब जब इस भाव पर कोई शुभ ग्रह होगा तो वह निसंदेह वहां शुभता का प्रभाव लाएगा।
जब इस स्थान पर पाप ग्रह होगा तो वह इस भाव के फलों को कम करेगा. ऎसे में राहु केतु का इस भाव पर प्रभाव जातक को आत्मिक सुख में कमी देने वाला रहेगा. किसी न किसी कारण से जीवन में पारिवारिक सुख कम ही रहेगा. वह मानसिक रुप से शांति को नही पा सकता है. उसका संघर्ष दूसरों से अधिक स्वयं के साथ होता है. वह अभिमानी हो सकता है और अपनी बात के सामने किसी दूसरे की बात को सहन नही कर पाए।
जातक कई बार गलत चीजों के प्रति भी आकर्षित हो जाता है. कई बार शार्टकट मारने के चक्कर में गलत काम भी कर सकता है. कुछ नशे की आदत भी हो सकती है. आपके लिए कोई भी चीज जब हद से अधिक बढ़ती जाती है तो नशे की तरह ही काम करती है।
सुख स्थान में बैठा केतु व्यक्ति के जीवन में सुख की कमी करता है. परिवार के सदस्य से सही ताल-मेल नहीं होने के कारण घर में अशांति बनी रहती है. वैवाहिक जीवन में जीवनसाथी की नाराजगी एवं उनसे सहयोग की कमी के कारण व्यक्ति खुद को अकेला महसूस करता है. इन स्थितियों में व्यक्ति का मन वैराग्य की ओर प्रेरित होता है।
यह घातक कालसर्प दोष चौथे भाव को प्रभावित करता है, इस स्थान को माता के सुख स्थान के लिए भी देखा जाता है. इस कारण जातक के लिए माता का सुख प्रभावित करता है. यह किसी भी कारण से हो सकता है. माता के प्रेम में कमी, माता के स्वास्थ्य में कमी, माता का मानसिक रुप से परेशान रहना या माता के कारण आपके जीवन का संघर्ष अधिक बढ़ जाना इत्यादि बातें इस संदर्भ में देखी जा सकती हैं।
जातक इस प्रभाव के कारण अपनी छोटी से छोटी बातों को लेकर बेचैन रह सकता है. जीवन के हर क्षेत्र में एक संदेह की स्थिति प्रभावित करती है. कई बार मानसिक रोग होने की भी संभावना बढ़ जाती है. व्यक्ति अपने घर परिवार और काम को लेकर किसी न किसी कारण से सोच-विचार में लगा रह सकता है. किसी गलत संगत में फंस कर भी ये लोग परेशानी में पड़ जाते हैं।
घातक कालसर्प दोष उपाय
घातक कालसर्प दोष जन्मपत्री में है तो व्यक्ति को इससे घबराना नहीं चाहिए. जन्म कुण्डली में मौजूद अन्य योगों पर भी विचार करना अत्यंत आवश्यक होता है. कुण्डली में बनने वाले अन्य शुभ योगों के प्रभाव से व्यक्ति के कष्ट को कम करने में भी बहुत सहायक होते हैं।
इसी के साथ ज्योतिशास्त्र कहता है कि जन्मपत्री में किसी भी तरह का अशुभ प्रभाव है तो उसे दूर करने के उपाय भी ज्योतिषशास्त्र में मौजूद है. ज्योतिषशास्त्र में घातक कालसर्प दोष की शांति के लिए जो उपाय बताए गए हैं उनमें एक उपाय यह है कि व्यक्ति को नियमित शिव जी पूजा करनी चाहिए तथा जितना संभव हो ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।
राहु ग्रह की शांति के लिए राहु मंत्र "ओम रां राहवे नम:" मंत्र का जप करना चाहिए. जप के पश्चात राहु के नाम से हवन करके राहु की वस्तुएं जैसे गोमेद, सीसा, तिल, नीले, वस्त्र, सूप, कंबल का दान करना चाहिए।
काल सर्प दोष के विभिन्न रुपों में उनके उपायों का भी अलग अलग रुप से वर्णन देखने को मिलता है. इस योग में 11 सोमवार नियमित रुप से शिवलिंग पर बेल पत्र का अर्पण करते हुए महा मृत्युंजय मंत्र का पाठ करना चाहिए. ऎसा करने से व्यक्ति के इस दोष की शांति होती है।
लेख साभार देव शर्मा
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