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लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शुक्रवार की रात करें यह उपाय-lakshmee praapti ke lie shukravaar kee raat karen yah upaay-

  लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शुक्रवार की रात करें यह उपाय- lakshmee praapti ke lie shukravaar kee raat karen yah upaay- मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी...

 
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लक्ष्मी प्राप्ति के लिए शुक्रवार की रात करें यह उपाय-lakshmee praapti ke lie shukravaar kee raat karen yah upaay-

मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी समस्या हैं गरीबी अर्थात निर्धनता। धन के अभाव में मनुष्य मान-सम्मान प्रतिष्ठा से भी वंचित रहता है। ऐसा शास्त्रों में वर्णन है की व्यक्ति को दरिद्रता दूर करने हेतु मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी को चंचला कहा जाता है अर्थात जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः लक्ष्मी अर्थात धन को स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधना, मंत्र-जाप आदि का विधान है।

 ऐसा शास्त्रोक्त वर्णित है के समुद्र-मंथन से पूर्व सभी देवता निर्धन और ऐश्वर्य विहीन हो गए थे तथा लक्ष्मी के प्रकट होने पर देवराज इंद्र ने महालक्ष्मी की स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर महालक्ष्मी ने देवराज इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनों संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर सदृश ऐश्वर्य युक्त हो जाएगा।

ऐसा शास्त्रों में वर्णन आता है के महालक्ष्मी के आठ स्वरुप है। लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरुप जीवन की आधारशिला है। इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं। इन आठ लक्ष्मी की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है। अष्ट लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है।

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विधि शुल्क पक्ष के किसी भी शुक्रवार अमावस्या की रात्रि के दूसरे प्रहर में स्नान आदि शुद्धि के उपरांत एकांत स्थान में चौकी के ऊपर लाल कपडा बिछाकर माता गज लक्ष्मी की प्रतिमा अथवा चित्र स्थापित कर लाल अथवा पीले ऊनि आसन पर बैठ कर आचमन करने के बाद आसान और पूजन सामग्री पवित्रीकरण कर पंचोपचार (संक्षिप्त विधि) से माता का पूजन करने से पहले (सर्वबाधा नाश और सम्पन्नता का) मानसिक संकल्प करें यिक बाद पूजन और आरती करने के बाद कामना अनुसार नीचे दिए किसी भी मंत्र का 11 माला जप करें संभव हो तो दशांश हवन भी करें अगर नही कर सकते तो जप का 10 प्रतिशत  यानी 110 मंत्र जाप 110 का 10 प्रतिशत यानी 11 मंत्र जाप हवन, तर्पण का करें इसके बाद पूजा में प्रयोग होने वाले पात्र के जल से 11 बार उपरोक्त मन्त्र बोलकर आनट में मार्ज्यामि बोलकर आसन के आगे जल गिराकर उसे माथे पर लगाकर प्रणाम कर उठ सकते है।

पूजा सामग्री सामर्थ्य अनुसार देवी पूजन में प्रयोग होने वाली ही लगेगी।

मन्त्र 

1. श्री आदि लक्ष्मी – ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं।।

2. श्री धान्य लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं क्लीं।।

3. श्री धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

4. श्री गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।

5. श्री संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।

6. श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ क्लीं ॐ।।

7. श्री विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ऐं ॐ।।

8. श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं श्रीं।।

अष्ट लक्ष्मी साधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्र्व्ह्यु से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।

अष्ट लक्ष्मी साधना विधि: 

शुक्रवार की रात तकरीबन ९ बजे से १० बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी का चित्र स्थापित करें। किसी भी थाली में गाय के घी के आठ दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। लाल फूलो की माला चढ़ाएं। मावे की बर्फी का भोग लगाएं। अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।

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मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।।

जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। इस उपाय को लगातार 21 शुक्रवार करने से प्रारब्ध कमजोर होता है तथा जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।

साधना काल मे धैर्य और संयम अति आवश्यक है । तुरन्त प्रभाव की आशा से कोई भी साधना फलित नही होती।

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