श्रद्धा मे भक्ति से बनेंगे आपके काम-shraddha me bhakti se banenge aapake kaam- श्रद्धा करो तो ऐसी। विचार करो तो निष्ठुर होकर। श्रद्धालु अगर ...
श्रद्धा मे भक्ति से बनेंगे आपके काम-shraddha me bhakti se banenge aapake kaam-
श्रद्धा करो तो ऐसी। विचार करो तो निष्ठुर होकर। श्रद्धालु अगर कहे किः 'अच्छा ! मैं सोचूँगा.... विचार करूँगा....' तो 'मैं' बना रहेगा, फिर रोता रहेगा।
कर्म करो तो एकदम मशीन होकर करो। मशीन कर्म करती है, फल की इच्छा नहीं करती। वह तो धमाधम चलती है। यंत्र की पुतली की तरह कर्म करो। काम करने में ढीले न बनो। झाड़ू लगाओ तो ऐसा लगाओ कि कहीं कचरा रह न जाय। रसोई बनाओ तो ऐसी बनाओ कि कोई दाना फालतू न जाय, कोई तिनका बिगड़े नहीं। कपड़ा धोओ तो ऐसा धोओ कि साबुन का खर्च व्यर्थ न हो, कपड़ा जल्दी न फटे फिर भी चमाचम स्वच्छ बन जाय। कर्म करो तो ऐसे सतर्क होकर करो। ऐसा कर्मवीर जल्दी सफल जो जाता है। हम लोग कर्म में, थोड़े आलस्य में पलायनवादी होकर रह जाते हैं। ना ही इधर के रहते हैं नहीं उधर के।
कर्म करो तो बस, मशीन होकर, बिल्कुल सतर्कता से काम करो।
एक बार लैला भागी जा रही थी। सुना था कि मजनूँ कहीं बैठा है। मिलन के लिए पागल बनकर दौड़ी जा रही थी। रास्ते में इमाम चद्दर बिछाकर नमाज पढ़ रहा था लैला उसकी चद्दर पर पैर रखकर दौड़ गई। इमाम क्रुद्ध हो गया। उसने जाकर बादशाह को शिकायत कीः "मैं खुदा की बन्दगी कर रहा था.... मेरी चद्दर बिछी थी उस पर पैर रखकर वह पागल लड़की चली गई। उसने खुदाताला का और खुदा की बन्दगी करने वाले इमाम का, दोनों का अपमान किया है। उसे बुलाकर सजा दी जाय।"
इमाम भी बादशाह का माना हुआ था। बादशाह ने लैला को बुलाया, उसे डाँटते हुए कहाः
"मूर्ख पागल लड़की ! इमाम चद्दर बिछाकर खुदाताला की बन्दगी कर रहा था और तू उसकी चद्दर पर पैर रखकर चली गई ? तुझे सजा देनी पड़ेगी। तूने ऐसा क्यों किया ?"
"जहाँपनाह ! ये बोलते हैं तो सही बात होगी कि मैं वहाँ पैर रखकर गुजरी होऊँगी लेकिन मुझे पता नहीं था। एक इन्सान के प्यार में मुझे यह नहीं दिखा लेकिन ये इमाम सारे जहाँ के मालिक खुदाताला के प्यार में निमग्न थे तो इनको मैं कैसे दिख गई ? मजनूँ के प्यार में मेरे लिए सारा जहाँ गायब हो गया था जबकि इमाम सारे जहाँ के मालिक खुदाताला के प्यार में निमग्न थे तो इनको मैं कैसे दिख गई ? मजनूँ के प्यार में मेरे लिये सारा जहाँ गायब हो गया था जबकि इमाम सारे जहाँ के मालिक से मिल रहे थे फिर भी उन्होंने मुझे कैसे देख लिया ?"
बादशाह ने कहाः "लैला ! तेरी मजनूँ में प्रीति सच्ची और इमाम की बन्दगी कच्ची। जा तू मौज कर।"
श्रद्धा करो तो ऐसी दृढ़ श्रद्धा करो। विश्वासो फलदायकः।
आत्मविचार करो तो बिल्कुल निष्ठुर होकर करो। उपासना करो तो असीम श्रद्धा से करो। कर्म करो तो बड़ी तत्परता से करो, मशीन की तरह बिल्कुल व्यवस्थित और फलाकांक्षा से रहित होकर करो। भगवान से प्रेम करो तो बस, पागल लैला की तरह करो, मीरा की तरह करो, गौरांग की तरह करो।
गौरांग की तरह कीर्तन करने वाले आनंदित हो जाते हैं। तुमने अपनी गाड़ी का एक पहिया ऑफिस में रख दिया है, दूसरा पहिया गोदाम में रखा है। तीसरा पहिया पंक्चरवाले के पास पड़ा है। स्टीयरिंग व्हील घर में रख दिया है। इंजिन गेरेज में पड़ा है। अब बताओ, तुम्हारी गाड़ी कैसी चलेगी?
ऐसे ही तुमने अपनी जीवन-गाड़ी का एक पुर्जा शत्रु के घर रखा है, एक पुर्जा मित्र के घर रखा है, दो पुर्जे फालतू जगह पर रखे हैं। तो यह गाड़ी कैसी चलेगी यह सोच लो। दिल का थोड़ा हिस्सा परिचितों में, मित्रों में बिखेर दिया, थोड़ा हिस्सा शत्रुओं, विरोधियों के चिन्तन में लगा दिया, थोड़ा हिस्सा ऑफिस में में, दुकान में रख दिया। बाकी दिल का जरा सा हिस्सा बचा उसका भी पता नहीं कि कब कहाँ भटक जाय ? बताओ, फिर उद्धार कैसे हो?
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