5. निष्क्रमण-संस्कार क्यों- nishkraman-sanskaar kyon- निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। बच्चे को पहली बार जब घर से बाहर निकाला जाता है;...
5. निष्क्रमण-संस्कार क्यों- nishkraman-sanskaar kyon-
निष्क्रमण का अर्थ है बाहर निकालना। बच्चे को पहली बार जब घर से बाहर निकाला जाता है; उस समय निष्क्रमण-संस्कार किया जाता है। इस संस्कार का फल विद्वानों ने शिशु के स्वास्थ्य और आयु की वृद्धि करना बताया है-
निष्क्रमणादायुषो वृद्धिरप्युद्दिष्टा मनीषिभिः । जन्म के चौथे मास में निष्क्रमण-संस्कार होता है। जब बच्चे का ज्ञान और कर्मेन्द्रियां सशक्त होकर धूप, वायु आदि को सहने योग्य बन जाती हैं।
Read this also: गर्भाधान-संस्कार क्यों-garbhaadhaan-sanskaar kyon-
सीमंतोन्नयन संस्कार क्यों-seemantonnayan sanskaar kyon-
सूर्य तथा चंद्रादि देवताओं का पूजन करके बच्चे को सूच चंद्र आदि के दर्शन कराना इस संस्कार की मुख्य प्रक्रिया है। चूंकि बच्चे का शरीर पृथ्वी, जल, तेज, वायु तथा आकाश से बनता है,
इसलिए बच्चे का पिता इस संस्कार के अंतर्गत आकाश आदि पंचभूतों के अधिष्ठाता देवताओं से बच्चे के कल्याण की कामना करते हुए कहता है-
-अथर्ववेद 8/2/14
शिवे ते स्तां द्यावापृथिवी असंतापे अभिश्रियो । शं ते सूर्य आ तपतुशं वातो वातु ते हृदे । शिवा अभि क्षरन्तु त्वापो दिव्याः पयस्वतीः ॥
अर्थात् हे बालक! तेरे निष्क्रमण के समय द्युलोक तथा पृथिवीलोक कल्याणकारी सुखद एवं शोभाता हाँ। सूर्य तेरे लिए कल्याणकारी प्रकाश करे। तेरे हृदय में स्वच्छ कल्याणकारी वायु का संचरण हो। जल वाली गंगा-यमुना आदि नदियां तेरे लिए निर्मल स्वादिष्ट जल का वहन करें।
कोई टिप्पणी नहीं